साईं बाबा मुझे ऐसा वरदान दो तेरा दर्शन मैं हमेशा पाता रहू
मुझ अज्ञान को बाबा वो ज्ञान दो मैं ध्यान तुम्हारा लगाता रहू
मैंने जब से साईं बाबा नाम सुना ये नाम मेरे हिरदये में बस गया,
मुझको बाबा मधुर सी तुम जुबान दो जिस से महिमा मैं तुम्हारी गाता रहू
साईं बाबा मुझे ऐसा वरदान दो तेरा दर्शन मैं हमेशा पाता रहू
रोम रोम मेरा ये पुकार रहा निष् दिन मैं तो बात निहार रहा
अपने चरणों में मुझको भी अस्थान दो नित चरणों में सिर ये झुकाता रहू
साईं बाबा मुझे ऐसा वरदान दो तेरा दर्शन मैं हमेशा पाता रहू
मैं तो काशी गया मथुरा अवध गया
नही शिर्डी सा कोई धाम मुझको मिला
अब तो आंखे तरस त्ती को वीरान को
दीया श्रधा से मैं तो जलाता रहू
साईं बाबा मुझे ऐसा वरदान दो तेरा दर्शन मैं हमेशा पाता रहू