श्याम सलोना रूप है तेरा घुंगराले है बाल,
नैनो से अमृत बरसता भगतो के प्रतिपाल,
शूल भरा पथ इक नजर में फूलो से भर जाये,
रोते रोते आता है जो हस्ता हस्ता जाये,
नाम बड़ा सुख दाई तेरा मन में रस बरसाए,
श्रदा से जो ध्यान धरे प्रभु पल में करे निहाल,
नैनो से अमृत बरसता भगतो के प्रतिपाल,
माया से मोहित होकर जो भग्टक रहे है लोग,
केवल अपने स्वार्थ का लगा हुआ है रोग,
भूल प्रभु को पल पल निश दिन भोग रहे है भोग,
मन में पावन भाग जगे जो आये खाटू धाम,
नैनो से अमृत बरसता भगतो के प्रतिपाल,
पल पतिपल प्रभु नाम तुम्हारा रहे अधर पर नाथ,
पड़ा हुआ हु श्री चरनन में जोड़े अपने हाथ,
अपना लो प्रभु आप जिसे बन जाये उसकी बात,
दीं दुखी जो ध्यान धरे हो जाये माला माल,
नैनो से अमृत बरसता भगतो के प्रतिपाल,