पत्थर के बन के पत्थर दिल क्यों हो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
कहते थे तुम तो हर पल भगतो के साथ हु,
हु दूर चाहे जितना भी पर उनके पास हु,
दर दर भटकता हु मैं कहा खो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
चढ़ ते हुई तूफान भी तुझसे खोफ खाते,
गहरे भवर भी तेरे आगे है सिर झुकाते,
जिस कश्ती के खिवैयाँ साई हो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
ना आस मेरी टूटे गई एहसास है मुझे,
जाऊँगा न निराश ये विश्वाश है मुझे,
मेरे तो साथ हर पल अब तो हो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,