इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,
गोबिंद नाम लेकर प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,
श्री गंगा जी का तट हो,
यमुना का बंसी वट हो,
मेरा संवारा निकट को जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,
पीताम्बर कसी हो होठो पे कुछ हसी हो छवि मन में ये वसी हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,
उस वक़्त जल्दी आना नहीं श्याम भूल जाना,
राधे को साथ लाना जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,