रुत बदले चाहे दिन बदले चाहे बदले सारा ज़मान
मेरे श्याम बदल ना जाना भगवन बदल ना जाना
कदम कदम पर पानी बदले चार कोस पे वाणी
सुख दुःख दुःख सुख में बदले निर्धन हो धनवानी
यही दुआ बस सुबह शाम मैं करता हूँ रोज़ाना
मेरे श्याम बदल ना जाना ................
बचपन से मैं करता आया अपनी ही मनमानी
जगह जगह जब ठोकर खायी तब ये बात है जानी
तू ही है इस जग का दाता तू ही पार लगाना
मेरे श्याम बदल ना जाना ................
मेरी लाज है तेरे हाथ में तुमने लाज बचानी
कहीं डूब ना जाए नैया तुमने पार लगनी
विजयराज और गुलशन मिलके गाये यही तराना
मेरे श्याम बदल ना जाना ................