रूठत श्याम रिझावत सखियाँ:
रूठत श्याम रिझावत सखियाँ,
कबहुँ चुमत मुख लेत बलैया,
पुनि पुनि अंग लगावत सखियाँ,
रूठत श्याम रिझावत.........
कोऊ दुलरावै कोऊ हलरावै,
जोई सोई मधुरी गावत सखियाँ,
रूठत श्याम रिझावत....
श्याम रिझत मुरली धुन छेणत्,
हरि संग रास रचावत सखियाँ,
रूठत श्याम रिझावत.....
जोई सुख सुरमुनि सपनेहुँ दुर्लभ,
सोई सुख हरि संग पावत सखियाँ,
रूठत श्याम मनावत....
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी