माने ना छेड़ो जी नन्दलाल मटकियां सिर पे गिर जा गी,
हे राधा धीरे धीरे चाल कमर में लचकि पड़ जायेगी,
माने ना छेड़ो जी नन्दलाल मटकियां सिर पे गिर जा गी,
मेरी मटकियां बनी माटी की न पीतल न लोहे की,
देदे थोड़ा सा माखन राधे बात मान कान्हा की,
छीना छीन में ओ सांवरियां दही बिखर जायेगी,
ओ राधा धीरे धीरे चाल कमर में लचकि पड़ जायेगी,
करू शिकायत माँ यशोदा से तने धना धमकावे,
मैं खाऊ कसम मौसी की कान्हा न तोहे सतावे,
झूठी कसम न खावे कान्हा तेरी मौसी मर जायेगी
हे राधा धीरे धीरे चाल कमर में लचकि पड़ जायेगी,
तेरे सिर पे मटकी माखन की थोड़ा सा माखन खिला ओ राधा बरसाने की,
तने और कोई न दीखता क्यों राधे राधे बोले तेरे घर में माखन कितना क्यों आगे पीछे डोले,
राधे मने तेरे से हो गया प्यार,