लक्ष्मी जैसी हमरी दुल्हनियां,
दुल्हनियां बिन रहा जाये न,
राहा जाये न राहा जाये न,
बिरहा का दुखड़ा सहा जाये न,
याद आते ही आँखों में आये पनियाँ,
दुल्हनियां बिन राहा जाये न,
ऐसी दुल्हनियां के मुखड़े की ज्योति,
जैसे हो सागर का अनमोल मोती,
राहा जाये न राहा जाये न बिरहा का दुखड़ा साहा जाए न,
हम है ग्वाले और महारानियाँ,
दुल्हनियां बिन राहा जाये न,
युग युग की है तृतीया हमारी,
वो हमरी देवी हम उसके पुजारी,
राहा जाये न राहा जाये न बिरहा का दुखड़ा साहा जाए न,
कभी सीता लागे कभी रुक्मणीयाँ
दुल्हनियां बिन राहा जाये न,