आ जाओ....माँ गौरी,
मैं तो आन पड़ी तेरे द्वार,
ओ माँ मेरी नैया लगा दे पार,
आ जाओ....माँ गौरी,
मैं तो आन पड़ी तेरे द्वार,
ओ माँ मेरी नैया लगा दो पार,
आ जाओ....माँ गौरी,
भवसागर मझधार में नैया,
कोई नहीं है इसका खिबैया,
भवसागर मझधार में नैया,
कोई नहीं है इसका खिबैया,
लाज रखो अब मेरी मैया, ओ....
आ जाओ, मैं तो आन पड़ी तेरे द्वार,
ओ माँ मेरी नैया लगा दो पार,
आ जाओ....माँ गौरी,
देख रही मैं अंखियाँ खोले,
जीवन नैया डगमग डोले,
देख रही मैं अंखियाँ खोले,
जीवन नैया डगमग डोले,
बीच भंवर में ले हिचकोले, ओ....
आ जाओ, मैं तो आन पड़ी तेरे द्वार,
ओ माँ मेरी नैया लगा दो पार,
आ जाओ....माँ गौरी,
पल-पल याद तिहारी आये,
चैन नहीं मन मेरा पाये,
पल-पल याद तिहारी आये,
चैन नहीं मन मेरा पाये,
तेरे बिन अब कुछ न भाये, ओ....आ जाओ,
मैं तो आन पड़ी तेरे द्वार,
ओ माँ मेरी नैया लगा दे पार,
आ जाओ....माँ गौरी,
(गीत रचना- अशोक कुमार खरे)