उठा पर्दा दिखा जलवा दीवाने खास आए हैं,
सुनाने हाले दिल मोहन तुम्हारे पास आए है,
पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है ,
मेरा सांवरा है यह मुझको यकीं है ,
पर्दे में रहने की आदत पड़ी है,
रुलाने की जाने की आदत पड़ी है,
दिल लूटने का बड़ा ही शौकीन की है .. पर्दे के पीछे जो
हर कोई बैठा है पलके बिछाए,
कब बाहर आए वो कब बाहर आए,
आएगा बाहर वो यही है कहीं है .. पर्दे के पीछे जो
बढ़ती 'मधुप' जब दिल ए बेकरारी,
आता है बाहर हो बांके बिहारी,
रंगीला रसीला हो बड़ा ही हंसी है .. पर्दे के पीछे जो
स्वर : भैया राजू कटारिया मोगा/बरसाना
संपर्क : 98140 65320
(सर्वाधिकार लेखक आधीन सुरक्षित। भजन में अदला बदली या शब्दों से छेड़-छाड़ करना सख्त वर्जित है)