गोरा जी दा गणपत लाला रूप है जिस दा बड़ा निराला,
विघन विनाशक जो कहलावे संकट टालन वाला,
है रिद्धि सीधी वाला,
हर कर्ज तो पहला ेहड़ा सिमरन किता जाऊ,
भोले तो वर पाया एहने प्रथम पुजेया जायु,
सफल सभी के काज करे जो सूंदर गज मुख वाला,
है रिद्धि सीधी वाला,
रिद्धि सीधी देवे सब नु देवे बुधि दा दान,
आशीर्वाद एह देवे सब नु पा वे यश ते मान,
वक्रकुंड महाकाल खोल दा बंद किस्मत दा ताला,
है रिद्धि सीधी वाला,
विधान विनाशक एह केहलेनदा संकट सब दे हरदा,
श्रद्धा दे नाल मंगे जो भी दें च देर न करदा,
मस्तक तिलक सिंदूरी सोहे गल मोतियन की माला,
है रिद्धि सीधी वाला,