पहले तुझे मनाऊँ, भक्ति मैं तेरी पाऊँ,
होगी दया जो तेरी, बिगड़ी बनेगी मेरी ॥
जय हो जय हे गणपति, जय सुर-नायक भयहारी ॥
दया करो हे सिद्धि प्रदाता, दुःखिया शरण तिहारी,
गजमुख तुझे मनाऊँ, भक्ति मैं तेरी पाऊँ,
होगी दया जो तेरी, बिगड़ी बनेगी मेरी,
मन-ही-मन सोचूँ सदा, प्रभु कैसे हो दीदार ॥
अबला हूँ मैं पुत्र-विहीना, रो-रो करत पुकार,
किसकी शरण में जाऊँ, भक्ति मैं तेरी पाऊँ,
होगी दया जो तेरी, बिगड़ी बनेगी मेरी,
तूने दुःख सबके हरे, हे सिद्धि-सदन गणनायक,॥
भर दे झोली, दीन-दुःखी मैं, सुर-सेवित सुरनायक,
चरणों में सिर नवाऊँ, भक्ति मैं तेरी पाऊँ,
होगी दया जो तेरी, बिगड़ी बनेगी मेरी,
पहले तुझे मनाऊँ, भक्ति मैं तेरी पाऊँ,
होगी दया जो तेरी, बिगड़ी बनेगी मेरी,
(गीत रचना- अशोक कुमार खरे)