ओं लाल बाग़ के राजा रिधि सिद्धि को ले के आजा

ओं लाल बाग़ के राजा रिधि सिद्धि को ले के आजा,
मोदक का थाल सजाऊ तू आकर भोग लगा जा,
ओं लाल बाग़ के राजा रिधि सिद्धि को ले के आजा

देवो में देव बलकारी है तेरी मुशक की असवारी है,
राजाओ के महाराजा,रिधि सिद्धि को ले के आजा
ओं लाल बाग़ के राजा .....

पितु माँ का आज्ञाकारी है तुम्हे जाने दुनिया सारी है,
दर्शन की प्यास बूजा जा रिधि सिद्धि को ले के आजा
ओं लाल बाग़ के राजा .....

देवो में पहली गिनती है पप्पू शर्मा की विनती है,
मेरी नैया पार लगा जा रिधि सिद्धि को ले के आजा
ओं लाल बाग़ के राजा .....
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