बरसती देख कर रेहमत तुम्हारे घर पे आ बैठे,
जो देखि मोहनी मूरत तो तुमसे दिल लगा बैठे,
बरसती देख कर रेहमत तुम्हारे घर पे आ बैठे,
इधर हम थे उधर तुम थे,
ना था कुछ बीच में अपने,
पलक जपके न लव थिरके मिलन के भून लिए सपने,
बड़ी मुश्किल से दिल धड़का हम ऐसी चोट खा बैठे ,
बरसती देख कर रेहमत तुम्हारे घर पे आ बैठे,
हमारी बेकसी ने तो वक़्त की बेरुखी देखि,
हमेशा जिंदगी अपनी जो देखि बस दुखी देखि,
मिला जब प्यार तेरा हम ये सारे गम बुला बैठे,
बरसती देख कर रेहमत तुम्हारे घर पे आ बैठे,
तुझसे गिरने न दू कह कर ले पकड़ा हाथ दुनिया ने,
कभी मजबूर बेकस का न दिया साथ दुनिया ने,
मिला हमदर्द तुम जैसा तो तेरे दर पे जा बैठे,
बरसती देख कर रेहमत तुम्हारे घर पे आ बैठे,
तेरे दर पे मिले सुख चरण सारे गम के मारो को,
रेहम की भीख मिलती है हजारो गुन्हे गारो को,
गाजे सिंह हम भी सिर अपना,इस दर पे जुका बैठे,
बरसती देख कर रेहमत तुम्हारे घर पे आ बैठे,