तेरा दीदार क्यु नही होता
मुझपर उपकार क्यु नही होता
तेरी रहमत की चार बूंदो का
दास हकदार क्यु नही होता
मैं किसी गैर के हाथो से
समुंदर भी ना लू
एक कतरा ही समुन्दर अगर तु दे दे
तेरी रहमत.........
लाखो पापी तो तुने तार दिये
मेरा उधार क्यु नही होता
तेरा दीदार.........
हु तो गुनहगार फिर भी तेरा हु
तुम को ऐतबार क्यु नही होता
अवगुन भरा शरीर मेरा
मैं कैसे तुम्हे मिल पाऊ
चुनरीया हो मेरा चुनरीया
चुनरीया मेरी दाग दगिली
मैं कैसे दाग छुड़ाउ
आन पडा अब द्वार तिहारे
हे श्याम सुन्दर हे श्याम सुन्दर
आन पडा अब द्वार तिहारे
मैं अब किस द्वार जाऊ
हु तो गुनहगार फिर भी तेरा हु
तेरा दीदार.........
तेरे चरनो में मेरा दम निकल जाये
कागा मेरे या तन को
तू चुन चुन खाईयो मॉस
पर दो नैना मत खाईयो
मोहे पिया मिलन की आस
आराम चाहता है तो
आ राम की शरण में
तेरे चरनो में मेरा दम निकले
नंदलाल गोपाल दया करके
रख चाकर अपने द्वार मुझे
धन और दौलत की चाह नहीं
बस दे दे थोड़ा प्यार मुझे
तेरे प्यार में इतना खो जाऊ
पागल समझे संसार मुझे
जब दिल अपने में झाकू मैं
हो जाये तेरा दीदार मुझे
तेरे चरनो में दम मेरा निकले
ऐसा एक बार क्यों नहीं होता
तेरा दीदार.........