सांवरियां चाहे जग रूठे छूटे कभी न तेरा साथ,
जग के सफर की सारी डगर में थामे रहो मेरा हाथ,
छूटे कभी न तेरा साथ...
जग के रिश्तो के बनते है रोज नये अफ़साने,
तेरी मेरी प्रीत पुरानी मैं जानू तू जाने,
जग वाले ये क्या समजे गे तेरी मेरी बात,
छूटे कभी न तेरा साथ...
तन मन धड़कन सब तेरी है मेरा कण कण तेरा,
इक तेरी रहे छवि निरन्तर दिल ये दर्पण मेरा,
आँखे मेरी लव्ज वहाये जाहिर है जज्बात,
छूटे कभी न तेरा साथ,
अगर पूछे कोई मुझसे ये चाहत तेरी कितनी है,
मैं बोलूगा साथ है तेरा हरसत बस इतनी है,
निर्मल चाहे तेरी किरपा की उम्र तक सौगात,
छूटे कभी न तेरा साथ,