तेरी मेरी कट्टी

सुन लै बृषभान किशोरी,जो मोते न खेली होरी,
तो तेरी मेरी कट्टी है जायगी,,,,
तू सुन लै नन्द किशोरी,जो मोते न खेली होरी,
तो तेरी मेरी कट्टी है जायगी,,,,

मौसम आया मतवाला है, तू बरसाने की वाला है,
मैं गोरी हूँ तू काला है क्यों करता गड़बड़ झाला है,
मैं लायो रंग कमोरी, तो तेरी मेरी कट्टी है जायगी,,,,,,,,,

मैंने ओड़ी नई चुनरिया है, मत रंग डारे साँवरिया है,
सुन के है जाये वाबरिया है,मेरी बाजे जब बाँसुरिया है,
मेरे संग नाये सखियाँ मोरी, जो तूने करो बरजोरी, तो तेरी मेरी कट्टी है जायगी,,,,,,

मैंने केसर रंग घुलवाया है, होली में दिल तोपे आया है,
मोये मत न समझ अनाड़ी रे, तेरी जानूं सब हुशियारी रे,
तोते बंदी प्रेम की डोरी, जो मोते न खेली होरी,
तेरी मेरी कट्टी है जायगी,,,,,,


Pandit Dev Sharma
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