कोतवाल काशी के भैरव नाथ हमारे,
ये रुदर रूप शिव के काल भेरो हमारे,
काले कुकर की करे सवारी गल रुण्ड माला धारे,
हाथ में दंड विराजे इसने दुष्टो को संगारे,
कोतवाल काशी के भैरव नाथ हमारे,
इक वार जम कर ब्रह्मा जी शिव की हसी उड़ाए,
शिव ने रूप धरा भेरो का ब्रह्मा का शीश उड़ाए,
क्रोध कर भ्र्म का पश्मा पश्मा शीश उतारे,
कोतवाल काशी के भैरव नाथ हमारे,
भरम हत्या का पाप लगा तो भेरो जी गबराये,
शिव की आज्ञा से चल कर के काशी नगरी आई,
काशी नगरी में आ कर के ब्रह्म हत्या का पाप उतारे,
कोतवाल काशी के भैरव नाथ हमारे,
भक्तो के संकट हरने ये जगह जगह आये,
कही पे बाबा पटुक नाथ उज्जैन में भैरव कहलाये,
भोग ले मदिराका भक्तो से भक्तो का कष्ट निवारे ,
कोतवाल काशी के भैरव नाथ हमारे,
आई जयंती भेरो बाबा की भक्तो करलो पूजा,
भेरो बाबा सा न कोई इस दुनिया में दूजा,
प्रेम से करके पूजा गिरी तू मत गबराओ प्यारे,
कोतवाल काशी के भैरव नाथ हमारे,