श्री भगवत भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है तारती
ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला ।
हरी नाम यही हरी धाम यही,
यही जग मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तारती ॥
ये शान्ति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला ।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती ॥
ये मधुर बोल, जग फन्द खोल
सन्मार्ग दिखानेवाला,
बिगड़ी को बनानेवाला ।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तारती ॥