मन लोभी मन लालची मन चंचल, मन चोर,
मन के मते ना चालिये पलक पलक मन और
मन लोभी जिवडा हो गयो मोड़ो रे,
दिन रहियो थोड़ो रे.....
स्वारथ काज बंधू बिलमावे जिन सेना का घोड़ो रै,
रात अंधारी, अलगो जाणो पड़ जाइ फोड़ो रै,
मन लोभी जिवडा हो गयो मोड़ो रे,
दिन रहियो थोड़ो रे...
मोह माया से मुड़ो दीवाना प्रीत प्रभु से जोड़ो रे,
बैरी भँवरो क्यों भटके रै झूठो संगड़ो रै,
मन लोभी जिवडा हो गयो मोड़ो रे,
दिन रहियो थोड़ो रे.....
सत रो मारग सुथरो पंडो साफ़ सवायो धोयो रै चेतन होय,
इन मार्ग पर चलनो खड़ लिजो घोड़ो रै,
मन लोभी जिवडा हो गयो मोड़ो रे,
दिन रहियो थोड़ो रे.......
निर्भय होकर हरी ने भज लो,
कदे नहीं आवे फोड़ो रै राजा मान सिंह,
सतगुरु शरणे जल्दी दौड़ो रै
मन लोभी जिवडा हो गयो मोड़ो रे,
दिन रहियो थोड़ो रे.....
निर्भय होकर हरी ने भज लो,
कदे नहीं आवे फोड़ो रै राजा मान सिंह,
सतगुरु शरणे जल्दी दौड़ो रै,
मन लोभी जिवडा हो गयो मोड़ो रे,
दिन रहियो थोड़ो रे