तू जो करदे माँ इक इशारे तो सवर जाए भाग हमारे,
सच्चा है माँ दर तेरा
दरबार तेरा है जग में निराला पल में किरपा करती तू है किरपाला
जो भी भगत तेरे दरबार आये मन की मुरादे माँ तुझसे वो पाए,
तेरे दरबार के माँ नजारे लगदे माँ जन्नत से भी हम को पयारे,
सच्चा है माँ दर तेरा
ममता की मूरत है तुहि भवानी,
सारे जगत की है तू ही महारानी
ब्रम्हा विष्णु शंकर जी धावे सारी दुनिया माँ तू ही चलावे,
हर तरफ तेरे गूंजे जैकारे सारी सृष्टि माँ तुझको पुकारे,
सच्चा है माँ दर तेरा
तेरे दर्श की माँ आस लगी है तेरे ही नाम की माँ ज्योत जली है,
अंचल की छइयां माँ मुझपे भी करदे झोली है खाली माँ मेरी झोली भर दे,
मेरी नैया लगा दे किनारा तेरा सूचत है तेरे सहारे ,
सच्चा है माँ दर तेरा