क्यों खा रहा है ठोकर चल श्याम की शरण में
मत वक़्त काट रोकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर...........
कष्टों को तेरे हारेगा खुशियों से दामन भरेगा
ऐसा दयालु ये दाता है कल्याण तेरा करेगा
तू देख इसका होकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर...........
रिश्तों को दिल से निभाता है सोइ उम्मीदें जगाता है
जिसका ना कोई सहारा है ये उसका खुद बन जाता है
जो आता यहाँ खोकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर...........
ये हाथ जिसका पकड़ता है फिर वो कभी ना भटकता है
बन जाता जन्मो का स्तिथि ये अपनों का ये ध्यान रखता है
कुंदन चरण को धोकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर..........