मुझ निर्धन के घर में बोलो कब आओगे श्याम मेरे,
भरोसा मुझको तो श्याम बस तेरा है,
तुम्हारे बिन यहां में कोई न मेरा है,
दुनिया ने गम इतने दिए क्या तुम को बतलाऊ,
दिल में सजाये थे जो सपने टूट गये शरेआम मेरे,
देख ली है सब मैंने ये झूठी दुनिया दारी,
एक तेरा दर सच्चा सँवारे ओ गिरधारी,
स्वरथ के संसार में अब जाऊ कहा बोलो,
ऐसे समय में जो भी अपने रूठ गये है तमाम मेरे,
कब आओ गये श्याम मेरे
मेरी ये जीवन नैया श्याम तेरे हवाले,
चले गी मर्जी तेरी डूबोदे चाहे बचा ले,
भीं साइन से खता हुई क्या जो ये हाल हुआ,
राधिका कहे देना सहारा आकर खुद घनशयाम मेरे,