उधो वो सांवली सूरत हमे दिल जान से बाहती है,
वो काले बाल माथे पे मुकट मोरन के पंखो का,
मगर कुंडल की कानो में झलक वो याद आती है ,
उधो वो सांवली सूरत हमे दिल जान से बाहती है,
गले पर माल की शोभा पीताम्बर की छठा तन पे,
वो बंसी की मधुर बोली हमे तन मन बुलाती है ,
उधो वो सांवली सूरत हमे दिल जान से बाहती है,
कटी में में खिला सुदर सजी ,मोतियन की लड़ी की,
वो नोपुर की ध्वनि पग में हमारा दिल चुराती है ,
उधो वो सांवली सूरत हमे दिल जान से बाहती है,
वो पल में रास की लीला,
वो यमुना तीर खेलन की,
वो ब्रह्मा नन्द की बाते सुमिरते रेन जाती है,
उधो वो सांवली सूरत हमे दिल जान से बाहती है,