म्हे भी आवैगा,म्हने बुलाल्यो थे सरकार
मनड़ो न लागे म्हारो,छूट रह्यो घर बार
म्हे भी आवैगा................
फागुन में जो नहीं बुलाओगा,बोलो कइया प्यार भड़ाओगा
साथीड़ा की जमघट माचेगी,महारा के आंसू ढलकाओगा
इतना भी गैर करो ना महान,सरकार
म्हे भी आवैगा..............
श्याम बगीची आलूसिंघ की शान, श्याम कुंड अमृत जल को पान
म्हारा चारु धाम हे खाटूधाम,,महान,बुलाता रहीज्यो बाबा श्याम
म्हे भी आवैगा.............
कोई थी धवजा उठावेगो,कोई महेंदी हाथ रचावेगो
कोई टिकट कटावे खाटू की,कोई थारे रंग लगावेगो
सुन सुन कर सबकी बात्ता,म्हे हा लाचार
म्हे भी आवैगा................
मेले की म्हे कर लेवा तयारी,,भूलन चावा या दुनियादारी
फागुन की मस्ती म्हे भी लुटा,लूट रही या दुनिया सारी
थारे इसारे की हे महान,दरकार
म्हे भी आवैगा....................
पहलेया पहल्या प्रेम बढ़ायो थो,जीवन में महारे रस बरसायो थो
प्रेम समुन्द्र भोत ही गहरो थो ,अंश बिचारो तेर ना पायो थो
डुबन के ताई छोड्या, के थे सरकार
म्हे भी आवैगा...............