चरणों का पुजारी हु तेरे दर का भिखारी हु,
ज़िंदगी दाव पे रखड़ी प्रभु ऐसा जुवारी हु,
ये मेरी हकीकत है,चहु और मुसीबत है,
हारा हुआ प्राणी हु,सुनले आती फुर्सत है,
उमरा तेरी यादो में प्रभु क्या न गुजारी हु,
रुख नेक मिलाओ तो दिल दिल से लगाओ तो,
मुदत से जो प्यासा हु दो घुट पिलाओ तो,
तस्वीर अदा तेरी इस दिल में उतरी हु,
ज़िंदगी दाव पे रखड़ी प्रभु ऐसा जुवारी हु,
हर बात समज ते हो अनजान भी बनते हो,
नाराजगी है क्या ऐसे दिल दार ना मनते हो,
दीवाना हु जिस दिन से छवि नेक निहारु हु,
ज़िंदगी दाव पे रखड़ी प्रभु ऐसा जुवारी हु,
शिव श्याम बहादुर के दो नैनो की ज्योति हो ,
करुणा ही तेरी प्यारे बदनाम जो होती हो,
कहने भी नहीं पाता नौकर सरकारी हु,
ज़िंदगी दाव पे रखड़ी प्रभु ऐसा जुवारी हु,