खाटू में मोरनी बनके मैं तो छम छम नाचूं
सांवरिया तेरी याद में जोगन मैं गाऊं
खाटू में मोरनी बनके..........
खाटू की गलियों में श्री श्याम की जलती है ज्योति
बिन मौसम के बाबा अमृत की है वर्षा होती
प्रेमी बन जो कोई है आता यहाँ
आकर के भूल गया वो सारा जहाँ
खाटू में मोरनी बनके..........
तुम इतनी कृपा करना खाटू बुलाते रहना
बन मांझी नैया को भाव पार लगाते रहना
हारे का साथी है कहता ये जहान
हमने भी मान लिया आकर के यहाँ
खाटू में मोरनी बनके..........
आओ कभी घर बाबा भक्ति का है ये मौसम
तेरे बिना सूना है संजीव के मन का दर्पण
इक सपना लगता है आना तेरा
सावरिया तुम आओगे कहता दिल मेरा
खाटू में मोरनी बनके..........