साँवरे की सेवा में जो मस्ती

सांवरे की सेवा में जो मस्ती, ऐसी मस्ती जहां में नहीं है
इनकी सेवा में मिलती जो मस्ती वैसी मस्ती जहां में नहीं है  

दुनिया वालों ने जब मुझसे पूछा, करता क्या है जो तुझ पे कृपा है
करता हूं सांवरे की मैं सेवा इससे बढ़कर मेरे लिए क्या है
सांवरे की सेवा में.

जो असल में है शाम में डूबे उन्हें नहीं परवाह दुनिया की
जिन पर भी चढ़ती है इसकी मस्ती ,मरने पर भी उतरती नहीं है
सांवरे की सेवा में जो....

जिनके दिल में बसे श्याम प्यारे  उनके परिवार के वारे न्यारे  
शर्मा  ने लौ है जबसे लगाई ,बिगड़ी हुई किस्मत बनाई
सांवरे की सेवा में जो मस्ती

लेखक:- रवि शर्मा (श्रीगंगानगर)
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