खाटू का मेला आया मेरा श्याम देख मुस्काया,
रिंग्स से ध्वजा उठा कर फिर श्याम ध्वजा लेहराया,
बाबा तो पालनहारा है हारे का सहारा है,
खाटू के मंदिर की है तू इंतनी प्यारी मूरत
जो दर्शन करता है हो पूरी उसकी ममंत
फिर सवा मनी वेह करता जब बिगड़ा काम स्वरता
जग की सारी खुशियों से ये सब की झोली भरता
बाबा तो पालनहारा है हारे का सहारा है,
खाटू का तोरण द्वारा है लगता सब को प्यारा
जो भी धोक लगाये हो जाए वारा न्यारा,
जब श्याम कुंड में नहाए फिर कष्ट सभी मिट जाए
बाबा पर ध्वजा चड़ा कर फिर मन की मुरादे पाए
बाबा तो पालनहारा है हारे का सहारा है,
नीले पर चढ़ कर आता मेरे सिर पर हाथ फिराता
जब भी संकट आता ये मोर छड़ी लेहरता,
जब मोर छड़ी लहराये दुःख के बादल छट जाए
हो बीच भवर में नैया उसे आकर पार लगाये
बाबा तो पालनहारा है हारे का सहारा है,
खाटू के कं कं में है बाबा की छवि निराली,
फागुन मेले में आते चहू और से नर नारी,
ऐसा आनद है आता मेरा श्याम देख मुस्काता
पुलकित सिंगला भी आता बाबा को भजन को सुनाता,
बाबा तो पालनहारा है हारे का सहारा है,