तेरा कर्जा खाटू वाले

तर्ज-चाहे जितना ले ले

तेरा कर्जा खाटू वाले,में उतार ना पाउगा
तेरा इतना प्यार मिले,जो सम्हाल ना पाउगा

तेरी माया होती हे,तो माया मिलती हे
जब तेरी कृपा होती हे, तो भक्ति मिलती हे
दोनों दरबार से मिलते,दुनिया को बताउगा

जो दे देता हे तू,हम सोच भी ना सकते
तेरा प्यार समेटन  में, प्रभु हम ही हे थकते
इस लायक अब में बाबा,खुद को तो बनाऊगा

जो शीश का दानी हो,और महाबलवाणी हो
उस पर न गर्व करू, किसी नादानी हो
हर पल हर छन हर पग पे,ये ही दोहराऊंगा

अवगुण ही अवगुण हे, गुण कुछ ना नजर आता
पर भाग्य की रेखा को फिर भी तू  बदल जाता
ये राज हे केसा गहरा,क्या जान में पाउगा

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