मन की वीणा के ये तार टूट जाये न करतार ।
बाबा श्याम धनि दातार ओ खाटू वाले श्याम धनि दातार ।
1) जीवन की नैया के दाता तू ही हो खिवैया ।
हम तेरी शरण में आये खाटू के बसैया ।
तुम हो जग के तारणहार मेरे खाटू के सिरदार ।
मेरे श्याम धनि दातार ओ खाटू वाले श्याम धनि दातार ।
मन की वीणा के ये तार...
2) दिल की धड़कन में बस गूंजे नाम तेरा ही दाता।
दिन हो चाहे रात बाबा ध्यान तेरा ही आता ।
बाबा तुम हो लखदातार चलती तेरी ही सरकार।
मेरे श्याम धनी दातार ओ खाटू वाले श्याम धनी दातार ।
मन की वीणा के ये तार...
3) तुम हो खाटू के राजा ओ बाबा शीश के दानी ।
नाम तेरा ही जपते जपते तर गए लाखो प्राणी ।
बेडा कर दो भव से पर 'आलोक' करे तेरी मनुहार ।
बाबा श्याम धनी दातार ओ खाटू वाले श्याम धनी दातार ।
मन की वीणा के ये तार...
(तर्ज ) :- लीले घोड़े रा असवार...
भजन रचना :- आलोक जोशी (सूरजगढ़ राजस्थान )
मो :- 9599592340 & 8467018418
निवास :- फरीदाबाद