इतनी सी है दिल की आरजू

तर्ज- तेरी मिटटी में मिल जाऊ

( तेरे प्रेम में हर सुख वार दिया, तेरे ध्यान में दिल ये लगाया है,
तब जाके कहीं हमने तेरा नाम अपनी सांसों पे सजाया है। )

ओ कान्हा मेरे तेरे दर पे रहूँ तू न आंख से इक पल ओझल हो,
मैं दूर रहू वृन्दावन से जीवन में कभी न वो पल हो,
ओ राधे मेरी मेरी महारानी हर वेद की तुम ही कहानी हो,
जो प्रेम जगत का सार हो तुम उस प्रेम की अमिट निशानी हो,
इस रज में मैं खो जाऊ, इस ब्रज का ही हो जाऊ, इतनी सी है दिल की आरजू,
इन लताओं सा लहराऊ, जमुना मैया सा बह जाऊ, इतनी सी है दिल की आरजू।

ओ बांके मेरे बड़े छलिया तुम इस ब्रज के तुम महाराजा हो,
हर गोपी यही पुकार रही ओ कान्हा दूर तुम न जाओ हो,
ब्रज भूमि मेरी तेरा हर कण-कण बस प्रेम ही प्रेम दुहाई दे,
चाहे कान लगा कर सुन लो तुम बस राधा-राधा सुनाई दे,
बरसाने तेरे घर आऊ, इस रस में ही तर जाऊ इतनी सी है दिल की आरजू,
इस रज में मैं खो जाऊ, इस ब्रज का ही हो जाऊ, इतनी सी है दिल की आरजू।

तुम आदि पुरूष तुम अन्त में हो, हर पापी में हर सन्त में हो,
तुम धरती में तुम रोम में हो ब्रहमाण्ड के हर एक रोम में हो,
सब कुछ होकर गोपाल से तुम मेरे नन्द के छोटे लाल से तुम,
राधा कुछ और तू न देना बस अपनी भक्ति सदा देना,
आखिर की जब सांस मे लू हे गोविन्द तेरे नाम से लू इतनी सी है दिल की आरजू,
इन लताओं से लहराऊ जमुना मैया सा बह जाऊ इतनी सी है दिल की आरजू।


श्रेणी
download bhajan lyrics (451 downloads)