म्हारो जनम सुधारों घनश्याम,
जपां म्हें निशदिन थारो नाम।
चाकरी थारी दीज्यो,हाजरी म्हारी लीज्यो।।
सबसे पहले उठाकर शीश नवावांगा,
मन मन्दिर का ठाकुर लाड़ लड़ावांगा,
थारा हुकुम बजावां घनश्याम,करांगा सगळा सारा काम।।(१)
म्हारो जीवन कई अवगुण की खान है,
तारणहार बिड़द थारी पहचान है,
म्हारा अवगुण करज्यो माफ,दयालू अंतर हो निष्पाप।।(२)
अजमिल गणिका और अहिल्या तारी है,
देव दयालू इबकै म्हारी बारी है,
नित निरखूँ नंदकिशोर,दरश कर नाचै मन को मोर।।(३)
चाकरी थारी दीज्यो,हाजरी म्हारी लीज्यो