मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंदा
गोरख धंदा गोरख धंदा राम
मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंदा
धरती और आकाश बीच में सूरज तारे चंदा
हवा बादलो बीच में वर्षा दामिनी गंगा राम
मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंदा
इक चला ये जग से चार देते है कन्धा
मिली किसी को आग किसी को मिला है फंदा राम
मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंदा
कोई पढ़ता गिर नर्ख कोई सुरगु सन्धा,
क्या होनी क्या अन होनी नही जाने बन्दा राम
मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंदा
कहे कबीर परगट माया फिर भी नर अँधा
सब के गले में डाल दिया ते मोह का फंदा राम
मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंदा