मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,
तेरे गुणगाते है साधू बजा बजा के ताली,.
मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,
मैया चार बुजाधारी तुम हो भोली भाली.
भूरे मगर किन्ही सवारी हाथ कमल का फूल ,
सब को देती रिद्धि सीधी हमे गई क्यों भूल,
मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,
नहीं हमारा कुतब कबीला नहीं मात और ताल,
हम तो आये शरण तुहारी शरण पड़े की लाज,
मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,
निरधानियो को धन देती है अज्ञानी को ज्ञान,
अभी मानी का मान घटाती खोती नामो निशाँ,
मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,
लाखो पापी तुमने तारे लगी न पल की देर ,
अब तो मैया मेरी बारी कहा लगा गई देर,
मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,
अमर कंठ अस्थान तुम्हारा दो धारो के पास ,
याहा शिवशंकर करे तपस्या ुचि शिखर कैलाश,
मैया अमर कंटक वाली तुम हो भोली भाली,