मुझे इतना दिया मेरे श्याम ने जितनी मेरी औकात न थी,
रख ली मेरी बात श्याम ने मुझमे तो कोई बात न थी,
मुझे इतना दिया मेरे श्याम ने जितनी मेरी औकात न थी,
बन के सुदामा ने जब अर्जी गले श्याम ने लगा लिया,
थाम के मेरा हाथ प्यार से पास में अपने बिठा लिया,
नई तकदीर लिखी नाम जागीर लिखी,
अब तेरा यार हु मैं ये भी तेहलीर लिखी,
मैं बिन पतवार की नैया था जब डोर श्याम के हाथ न थी,
मुझे इतना दिया मेरे श्याम ने जितनी मेरी औकात न थी,
इस फ़कीर के सिर श्याम ने ताज रखा साहूकारी का,
निभा दिया मेरे सांवरियां ने वादा अपनी यारी का,
बड़ा घर वार दिया प्यारा परिवार दियां,
जब भी मैं मिलने गया खुल के दीदार दियां.,
मेरे आगे पीछे इतनी खुशियों की कभी बरसात न थी
रख ली मेरी बात श्याम ने मुझमे तो कोई बात न थी,