मैं हूं ना क्यों चिंता करता है
एक रात दुखी मैं होके,
सो गया था रोते-रोते,
सपने में श्याम ने आकर,
कहा मुझको गले लगाकर कि
मैं हूं ना क्यों चिंता करता है
मेरे होते क्यों डरता है..
जो श्याम हरि को देखा तो, धीरज मैंने खोया,
लिपट गया चरणों से, फूट-फूटकर रोया ,
मुस्काकर होले होले,मेरे आंसू पोछे बोले
कि मैं हूं ना क्यों चिंता करता है..
श्याम कहे एक बार जो, मेरी शरण में आया,
हार नहीं सकता वो, तू काहे घबराया.,
जिसको मैंने अपनाया,उस पर है मेरी छाया,
कि मैं हूं ना क्यों चिंता करता है..
श्याम की बातें सुनकर भूल गया गम सारे,
ऐसा लगा कि मेरा फिर से जनम हुआ रे ,
किया उनकी और इशारा
संतों ने दिल से पुकारा
कि मैं हूं ना क्यों चिंता करता है...
धुन,
ये बन्धन तो प्यार का बंधन है..
{भक्त व भगवान की बातें}
भजन रचना ::
श्रध्देय श्री बलराम जी उदासी
बिलासपुर छ. ग.
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