मंदिर भू हुयो परायो

दुनिया पे संकट आयो,मंदिर भी हुयो परायो
जो हुयो ना  अब तक बाबा,तू ऐसो खेल रचायो
तू आजा रे,श्याम मेरे आजा रे,पुकारा हां तू आजा रे

बड़ी बड़ी विपदा में,तू ही आडो आयो
सर पर हाथ फिरायो,महाने लाड लडायो
इबकी क्यू ना तू आयो,क्यू महासू हुयो परायो

मन महारो घबड़ावे,मण्डो  धीर गवावे
रह रह के में सोचा,महारो रक्षक  क्यू सकुचावे
थे बेठ्या मंदिर माहि,सूझे दुक्ख महारो नाही

जीवन की हे बाजी,थे क्यू हो नाराजी
बिलख बिलख कर रोवा,,आज्या श्याम  मिजाजी
थारो अंश अगर जी जावे,इमें थारो के घट जावे


भजन रचियता : डॉ.विजय केड़िआ,
                      बीरगंज NEPAL  

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