मेरे साई की क्या बात चर्चा गली गली,
मैं तो गुण गाऊ दिन रात चर्चा गली गली,
मेरी होती उस से बात निष् दिन आँखों में ,
मैं मांगू जो उस से इक वो देता लाखो में,
घर खुशियों की बरसात चर्चा गली गली,
मुझको मन चाहे का मीत मिल गया शिरडी वाला,
भोली सूरत भाल पेरोली और गले में माला,
मिली दर्शन की सौगात चर्चा गली गली,
सतिया लाल गुलाल से देखो सजे है घर का आंगन,
आये गा इक रात को साईं जो मेरा मन पावन,
संग शिव जी की बारात चर्चा गली गली,
मैंने सपने सहज सजोये और पलू में बांधे,
आये भले चाहे लाख समंदर मैंने वो सब लांगे
मेरे बदल गए हालत चर्चा गली गली ,