कब से खड़े है लाइन में ओ बाबा तेरे द्वार,
दर्शन देदो लख दातार
प्रेमी को यु न तरसाओ सुन लो ऐ सरकार,
दर्शन देदो लख दातार
मैं पापी हु मैं कपटी हु दिल में लाख है अवगुण,
गलती का पुलता हु मुझमे है न कोई सद्गुण,
दुनिया की सुनते हो मेरी सुन लो न इक बार,
दर्शन देदो लख दातार
मैं हारा हु दुनिया से प्रभु शरण तुम्हारी आया,
ना दौलत है ना शोरत है आंसू भेट में लाया,
मन के भाव है सच्चे बाबा कर लो न स्वीकार,
दर्शन देदो लख दातार
दर्शन ना दो गे तो चौकठ छोड़ के न जाऊँगा,
दीं दुखी को खाटू में कैसे लेकर आऊंगा,
नीतू पर भी कर दो बाबा छोटा सा ऊपर,
दर्शन देदो लख दातार