श्यामा रोज ना बजाय करो बंसरी
वे घरो साणु मार पैंदी ए, सुन मोहिना
तेरी बांसुरी नू लै जान चोर वे,
के जिवें साडा दिल लुटिया, सुन मोहना ।
श्यामा रोज ना लिखा करो चिठ्ठियां,
के वृन्दावन आन मिलेंगे, वे श्यामा ।
पानी भरण दे बहाने आवां,
तेरा मेरा इक रास्ता, सुन मोहिना ।
श्यामा फागुन महीना आया,
के आजा दोनों होली खेलिए, सुन मोहिना ।