रुनझुन झनके पैजनिया कान्हा चलने लगे,
पग डगमग गिरत पडत उठत चलत कान्हा ,
रुनझुन झनके पैजनिया....
नन्द बाबा की ऊँगली पकड़ के चले,
कभी मैया को अचारा झ्क्द के चले,
गोदी चड़ने को कान्हा मचलने लगे,
कभी हट करके पइया पटक ने लगे
पग डगमग गिरत पडत उठत चलत कान्हा ,
रुनझुन झनके पैजनिया....
चंदा पकड़ ने को जाने लगे,
खाने को रोटी ललचाने लगे,
मैया की गोदी इतराने लगे,
भैया की चोटी से जलने लगे,
पग डगमग गिरत पडत उठत चलत कान्हा ,
रुनझुन झनके पैजनिया....
दोड़े कभी तो कान्हा रुक न सके,
कभी फिसले तो कान्हा उठ न सके,
रोये तो ऐसे के चुप न हुए,
कभी रोते रोते ही हसने लगे,
पग डगमग गिरत पडत उठत चलत कान्हा ,
रुनझुन झनके पैजनिया....