सखी बिनु राधा, कान्हा कछु नाहीँ:
सखी बिनु राधा, कान्हा कछु नाहीँ,
मन अधीर बिकल अति विह्वल,
चितवत चंद चकोर की नाईं,
सखी बिनु राधा--------
श्री बिहीन राधा बिनु कान्हा,
जियँ गति जल बिनु मीन की नाईं,
सखी बिनु राधा-------
कान्हा की गति, कान्हा ही जानें,
श्री राधे मोरे ह्रदय मोरे ह्रदय समाहीं,
सखी बिनु राधा,कान्हा कछु नाहीँ
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी