रटके करतार की माला

जीणा दिन चार हो ज्यागा पार,
रट के करतार की माला,

लाग्या था कुबद कमावण
बण मैं गया जानकी नै ठावण
उस रावण के शेर, चालै फैर, मत कर बैर, कापाला।

मुर्ख बात घड़ै क्यू ठाली
तेरी तै एक पेश ना चाली
उस बाली की ढाल, खाज्या काल, मतकरै आल, हो चाला

किचक था खोहा खेड़ी
घाल ली काल बली नै बेड़ी
छेड़ी द्रोपद नार, वो दिया मार, जो सरदार का साला।

मेहर सिंह भजन कर सूत
वे हों सैं देशां के ऊत
यम के दूत करोड़, दें सिर फोड़, ले ज्यांगे तोड़ कै ताला।

Sandeep स्वामी
Alwar(Raj.)

श्रेणी
download bhajan lyrics (953 downloads)