पंख होते तो मैं उड़ आती तेरे भवनों पे डेरा जमाती ,
कूकती रहती कोयलियाँ बन के मचाती रहती शोर मैया,
नाचती रहती बगिया में तेरी मैं बन के मोर मैया
उड़ गए भरो घाटी पे मैं जाती मीठे मीठे फल मैं लेके आती,
पहले तो जी भर तुमको खिलाती जो बच जाता मैया मैं खाती,
देखती रहती तुम को मैं जैसे चाँद को चकोर मैया,
नाचती रहती बगिया में तेरी मैं बन के मोर मैया
दिन भर तेरा दिल मैं बहलाती मीठी भेटे मैं तुमको सुनाती,
पंखो से तेरा चवर डुलाती जब मैया मेरी तू सो जाती,
तेरा चौरासी घंटा बजाती होते हे नित भोर मैया,
नाचती रहती बगिया में तेरी मैं बन के मोर मैया
जग पे ही मंगला दर्शन पाती रोज वान गंगा में नहाती,
हाथी मथा पे माथा टिका ती अधक्वारी माँ से मिल कर आती
सांझी शत पे मैं हिरणी के जैसे माँ चलती चारो और मैया
नाचती रहती बगिया में तेरी मैं बन के मोर मैया