कभी कहूं में राधे राधे कभी कहूं घनश्याम

सुबह से लेकर श्याम तक मैं जपु तुम्हारा नाम ,
कभी कहू मैं राधे राधे कभी कहू घनश्याम,
सुबह से लेकर श्याम तक मैं जपु तुम्हारा नाम ,

एक आंख में तुम रेहतो हो एक आंख राधा रानी ,
एक आंख में छलियाँ रसिया एक आँख में दीवानी,
दोनों के इस युगल रूप में वस्ते मेरे प्राण,
सुबह से लेकर श्याम तक मैं जपु तुम्हारा नाम ,

दिल तो मेरा इक है इसको कैसे करू मैं आधा,
दोनों अब तुम साथ में रहलो शर्म करो न ज्यादा,
तुम ही कृष्णा तुम ही राधा दोनों को परनाम,
सुबह से लेकर श्याम तक मैं जपु तुम्हारा नाम ,

सपने में भी तुम आते हो रात नही सोने देते,
एसी प्रीत की डोर में बाँधा ना जीने मरने देते,
जब से तेरा हुआ कन्हिया दुनिया से क्या काम,
सुबह से लेकर श्याम तक मैं जपु तुम्हारा नाम ,
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