आरती युगल किशोर की कीजै
तन मन धन न्योछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै
हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥
तन मन धन न्योछावर कीजै....
रवि शशि कोटि बदन की शोभा
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
तन मन धन न्योछावर कीजै......
ओढ़े नील पीत पट सारी
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
तन मन धन न्योछावर कीजै.....
फूलन सेजी फूल की माला
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥
तन मन धन न्योछावर कीजै.....
कंचन थार कपूर की बाती
हरि आए निर्मल भई छाती॥
तन मन धन न्योछावर कीजै.....
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी
आरती करें सकल नर नारी॥
तन मन धन न्योछावर कीजै.....
नंदनंदन बृजभान किशोरी
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥
तन मन धन न्योछावर कीजै,
आरती युगल किशोर की कीजै ॥