रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी

रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी
ऐजी जाके नैनन हाँजी जाके नैनन, बरसत नीर

व्याह रचावे भैया शिशुपाल से जी
ऐजी मेरो प्यार दुश्मन है गयो जी,
रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी

आएके खबरिया जल्दी मेरी लीजियो जी
ऐजी कोई नन्द सुवन यदुवीर
रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी

जो नही आओ जल्दी मेरे साँवरे जी
ऐजी अपने प्राणन को करूंगी में अखीर
रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी

मधुर स्वर - धर्माचार्य पूज्य श्री अशोक कृष्ण ठाकुर जी
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