तेरे दर पे जो आ गया
बिन मांगे वो पा गया ........
मेरे श्याम सौंप दिया है अपनी जीवन कि नैया तुझे
बीच भंवर में फँस गई हूँ तुम उबारो कन्हैया मुझे
झूठे रिश्ते नाते झूठी यारी है
बस पैसों से चलती रिश्तेदारी है
दुनिया का दस्तूर समझ ना आता है
अपना ही अपनों से धोखा खाता है
गिर ना पडूँ कहीं लड़खड़ा के
तुम सम्भालो कन्हैया मुझे
बहते इन अश्कों ने तुझे पुकारा है
तू ही तो हारे का श्याम सहारा है
आ जाओ संकट कि बदरी छाई है
मैं हारी ये श्याम तेरी रुस्वाई है
तेर सिवा कौन है मेरा तुम बचालो कन्हैया मुझे
हाल ए दिल तुझको अपना सुनाऊँ मैं
तेरे होते और कहीं क्यों जाऊं मैं
जब जब दुनिया ने मुझको ठुकराया है
तूने ही अपना कर साथ निभाया है
मांगे तरुण अपनी शरण में
तुम लगा लो कन्हैया मुझे
मेरे श्याम...........