वेला अमृत गया आलसी सो रहा बन अभागा

वेला अमृत गया आलसी सो रहा बन अभागा
साथी सारे  जगे मै न जागा

झोलियाँ भर रहे भाग्य वाले लाखों पतितों ने जीवन सम्भाले
रंक राजा बने भक्ति रस में सने कष्ट भागा

कर्म उत्तम से नर तन जो पाया आलसी बनके हीरा गंवाया
सौदा घाटे का कर हाथ माथे पे धर रोने लागा

बन्दे तूने न कुछ भी विचारा प्यारा जीवन गया न संवारा
हंस का रूप था गंदला पानी पिया बनके कागा

श्रेणी
download bhajan lyrics (839 downloads)